पंडित जी का ब्रेड-मक्खन और बनारसी की चाय

पंडित जी का ब्रेड-मक्खन और बनारसी की चाय
गोपाल के भरवां खस्ते और साहू की कचोड़ी, वाह भई वाह
देहरादून। घुम्कड़ इंडिया के इस सफर में सभी पाठकों का हार्दिक स्वागत अभिनंदन। देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई की कई ऐतिहासिक धरोहरों से लेकर जूहू चैपाटी, मरीन ड्राइव, और लालबाग के राजा से आपको रूबरू कराने के बाद इस बार में राकेश बिजल्वाण अपने मित्र और टीम विचार एक नई सोच के मेरठ संयोजक और सह संपादक विपिन जैन के साथ हूं उत्तर प्रदेश के ऐसे शहर में जिसको
दिलवालों का शहर कहा जाता है। अतिथि देवो भवः की परंपरा वाले इस शहर का नाम है कानपुर। बाहरी शहरों से लोग जब कानुपर आते हैं तो वह सबसे पहले कानपुर के लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए निकल पड़ते हैं। शहर में घूमने के लिए भले ही ज्यादा जगह न हो, लेकिन खाने के मामले में एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन मौजूद हैं। बनारसी चाय हो या चटपटी चाट फिर खस्ता कचैडी, या फिर ठग्गू के लड्डू की मिठास लाजवाब है। यहां आपको खाने में भी कई वैराइटी मिल जाएंगी। अगर आप तीखा और चटपटा खाने के शौकीन हैं, तो यहां के लोकल फूड को ट्राई कर सकते हैं। आपको यहां चांदनी चैक की चाट से लेकर पंजाब के स्पेशल छोले-भठूरे तक मिल जाएंगे। इसके अलावा, यहां का नींबू लेमन, दालमोठ का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहां पर आपको सभी तरह का वैराइटी फूड अपनी पॉकेट के हिसाब से मिल जाएगा। इसके अलावा छोटे-बड़े रेस्टोरेंट भी हैं, जहां आप अपनी फेवरिट डिश ऑर्डर कर सकते हैं। सभी डिसेज इतने टेस्टी हैं कि लोग चटखारे लगाकर इनका स्वाद लेते हैं
पंडित जी का ब्र्रेड-मक्खन और मट्ठे का गिलास
दिलवालों के शहर कानपुर में हो
और सुबह का नाश्ता माल रोड़ पर शुक्ला जी की चलती-फिरती दुकान पर नहीं किया तो फिर कानपुर आकर क्या किया? मेरे दोस्त विपिन जैन और मैने भी सुबह के नाश्ते की सुरूआत की शुक्ला जी के ब्रेड-मक्खन और मट्ठे के गिलास से। कानपुर माल रोड़ पर भास्कर शुक्ला जिनको प्यार से लोग पंडित जी कहकर बुलाते हैं पिछले 30 साल से ठेले में बे्रड-मक्खन और मट्ठे से सुबह का नाश्ता लोगों को कराते हैं। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक के मध्य माल रोड पर इनका ठेला लगता है। सुबह से ही लोगों को नाश्ते के लिए शुक्ला जी का इंतजार रहता है। एक बार अगर आपने शुक्ला जी की ब्रेड-मक्खन खा ली तो आप घर पर ब्रेड-मक्खन खाना भूल जायेंगे साथ में शरीर को तरोताजा कर देता है मट्ठे का गिलास। शुक्ला जी बताते हैं कि वह रोज 18 किलो दूध की मलाई का मक्खन निकालते हैं। यह शुद्व मक्खन और मट्ठा ही उनकी ताकत है। दिन भर मेहनत के बाद 400 रूपये तक कमाते हैं लेकिन उनके चेहरे पर सुकून रहता है कि उन्होंने ग्राहक को शुद्व और पौष्टिक नाश्ता करवाया। पंडित जी के यहां नाश्ता करने वाले बैंक कर्मचारी कहते हैं कि पिछले तीस साल में न पंडित जी की व्यवहार बदला और न स्वाद। आप भी कभी कानपुर आये तो पंडित जी के ठेले पर नाश्ता करना न भूलें।
आर्य नगर वाले साहू की कचैड़ी
आर्य नगर में करीब 40, साल पहले एक ठेले में कचैड़ी बनती थी, लोग सुबह नाश्ते के लिए राजू के ठेले के पास लाइन पर खड़े हो जाते है। इतने साल बीत जाने के बाद भी साहू की कचैड़ी ग्राहकों की आज भी सुबह की पहली पसंद बनी हुई है। रीजू साहू ने न कचैड़ी बनाने का तरीका बदला और न ही ठेला। यहां के लोगों का कहना है कि अगर सुबह का नाश्ता अगर साहू कचैड़ी वाले के यहां न होतो दिन अधूरा सा लगता है। आलू के स्पेशल मसाला भरी, कचैड़ी और छोले की चटपटी सब्जी और सलाद के साथ कचैड़ी का स्वाद ही कुछ और है। गर्मा-गर्म स्पेशल कचैडियों की बात ही कुछ और है।
नरौना चैराहे स्थित गोपाल के भरवां खस्ते
खस्ते तो कई तरह के होते हैं लेकिन नरौना चैराहे स्थित गोपाल के स्पेशल भरवां खस्तों की तो बात ही कुछ और है। मैदा के बने छोटे-छोटे खस्तों में चटपटे आलू भरकर उसमें छोटे-छोटे दही बड़े भरकर जब पुदीने, हरी मिर्च और खटाई की जायकेदार चटनी से भीगी हरी मिर्च के साथ खाते हैं तो मजा आ जाता है ।
बिरहाना रोड की आदर्श नमकीन
असलम खान निवासी नेहरु नगर और आंनद निगम जवाहर नगर के परिजनों का कहना है कि जब भी हमारे बेटे दुबई से आते हैं तो आदर्श की नमकीन ले जाना नहीं भूलते। असलम के पिता साजिद ने बताया कि हम 20 साल से यहीं से नमकीन खरीदते हैं, क्योंकि टेस्ट के साथ क्वालिटी आदर्श नमकीन की अलग ही है। बिरहाना रोड की आदर्श नमकीन तो पूरे प्रदेश में फेमस है।
बनारसी की चाय में है गजब की मिठास
कानपुर आने वाले ने शख्स ने अगर बनारसी टी स्टॉल की स्पेशल चाय की चुस्कियां नहीं लीं तो फिर कुछ नहीं किया। जी हां, मोतीझील चैराहे पर 1953 में खुली बनारसी टी स्टॉल पर दिनभर में 7000 से ज्यादा स्पेशल चाय की बिक्री होती है। चाय में पका हुआ लाल दूध, स्पेशल चाय मसाला और दानेदार चाय की पत्ती का यूज होता है। ओनर अनिल गुप्ता का कहना है कि दादा जी की खोली दुकान आज उनके बेटे चला रहे हैं। एक दिन भी दुकान बंद रहती है तो कस्टमर घर आकर चाय पिलाने को कहते हैं।
कचहरी के राजकुमार के छोले-भठूरे
चटपटे स्पेशल छोले-भठूरे खाने के लिए शहर वाले कचहरी रोड स्थित राजकुमार की दुकान पर ही लोग पहुंचते हैं। तेज मसालेदार छोले खाकर मजा आ जाता है। छोले-भठूरे के साथ स्पेशल चटपटा आचार और सूखे आलू जायके को और बढ़ाते हैं। कचहरी में राजकुमार के छोले का अगर लुफ्त उठाना है तो साहब आपको एक घंटे पहले टोकन लेना होगा, जब नंबर आएगा, तभी छोले- भटूरे का स्वाद चख पाएंगे।