
भाजपा सरकार का ऐतिहासिक फैसला
अब या तो दहेज मिलेगा या फिर सरकारी नौकरी!
सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को बताना होगा कितना दहेज लिया था शादी में
राज्य सूचना आयोग के फैसले पर मुख्य सचिव ने लगाई मुहर
चंडीगढ़। राज्य सूचना आयोग के फैसले पर मुख्य सचिव ने लगाई मुहर। जी हां इस फैसले के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों ने दहेज लिया तो उनकी खैर नहीं? भाजपा सरकार के इस फैसले की चैतरफा सराहना हो रही है। आम जनता को जब समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के माध्यम से राज्य सरकार के इस फैसले की जानकारी मिली तो सभी ने दिल खोलकर इसका स्वागत किया। वहीं जिन सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों को लेकर यह फैसला लिया गया है वहां से मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। हरियाणा में अधिकारी हों या फिर कर्मचारी, अब शादी के समय दहेज नहीं ले पाएंगे। उन्हें शादी के समय मिलने वाले किसी भी तरह के सामान की सूचना सरकार को देनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
25-30 साल पहले दहेज में किया लिया था अब बताना होगा
मुख्य सचिव के आदेश के बाद सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को बताना होेगा कि वे शादी में दहेज के रूप में क्या-क्या लेकर आए थे। बेशक से कोई सेवानिवृत होने की स्थिति में पहुंच चुका है, उसे भी अपनी 25 या 30 साल पहले हुई अपनी शादी में मिले दहेज के एक-एक सामान के बारे में बताना होगा। हरियाणा सरकार के प्रमुख सचिव ने प्रदेश सरकार के सभी प्रशासनिक सचिव, सरकारी विभागों के हेड आॅफ डिपार्टमेंट और अंबाला, हिसार, रोहतक, गुड़गांव, फरीदाबाद व करनाल डिविजन के कमिश्नर को पत्र लिखा है। इनके अलावा पंजाब एवं हरियाणा के हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार और सभी डीसी को भी पत्र भेज दिया है।
अपनी पत्नी, पिता और ससुर के हस्ताक्षर युक्त प्रमाण पत्र देना होगा
हरियाणा से दहेज की कुरीति से निपटने के लिए राज्य सूचना आयोग ने एक पहल की थी। इस पहल पर मुख्य सचिव ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए सभी विभागों को पत्र लिखा है। पत्र के मुताबिक, कर्मचारी को अपनी पत्नी, पिता और ससुर के हस्ताक्षर वाली एक ऐसा प्रमाण पत्र देना होगा, जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि शादी में दहेज नहीं लिया गया है। यही नहीं, सभी प्रशासनिक सचिव, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में आदेश को सख्ती से पालन करने ही हिदायत दी गई है। सरकार ने यह आदेश राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री के पिछले साल 16 नवंबर को जारी किए एक अहम फैसले के बाद जारी किए हैं।
सही जानकारी न देने पर हो सकती है जांच- मुख्य सचिव
राज्य सूचना आयुक्त ने इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि हरियाणा सिविल सेवा अधिनियम-2016 की धारा-18(2) का अनुपालन एक महीने के भीतर किया जाए। आयोग इस बात से भी खफा था कि कानून में सख्त प्रावधान होने के बावजूद नियम 18 (2) के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों से यह शपथ पत्र किसी विभाग में नहीं लिए जा रहे हैं। इसमें बताना होगा कि सामान में रूप में क्या-क्या लिया गया और नकद राशि कितनी ली गई। जो सही जानकारी नहीं दें, उनके बारे में शिकायत मिलने पर विभाग जांच करवा सकता है।

हो सकता है आदेश में कुछ संशोधन
राज्य सूचना आयुक्त ने अपनी व्यवस्था में कहा था कि दहेज जैसी कुरीति से निपटने के लिए हरियाणा जैसे प्रगतिशील राज्य को भी पहल करनी होगी, तभी दहेज उत्पीड़न को रोका जा सकता है। सरकार के आदेश में अहम बात सामने आई है कि राज्य के विश्वविद्यालयों और बोर्ड-निगमों के कर्मचारियों को इससे बाहर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव ऑफिस जल्द ही अपने आदेश में संशोधन कर बोर्ड-निगमों के साथ ही यूनिवर्सिटी के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इस पत्र के जरिए दायरे में लाएगा।
राज्य सरकार का तुगलकी फरमान- राजपाल
हरियाणा रोडवेज वर्कर्ज यूनियन के प्रदेश सचिव राजपाल सिंह ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह से तुगलकी फरमान जारी करके कर्मचारियों की अनावश्यक परेशानी बढ़ा रही है। यह एक तरह से हमारी परंपराओं के साथ खिलवाड़ का भी प्रयास है। हर माता पिता पता नहीं किस-किस तरह से जैसे-तैसे अपने बच्चों की शादी करते हैं। सभी अपनी बेटियों को दान देते हैं। कई रिश्तेदार भी दान देते हैं। सरकार अपने कर्मचारियों पर विश्वास नहीं करती। सरकार के इस तरह के फैसलों के खिलाफ हर कर्मचारी खड़ा होगा।
प्राइवेट नौकरी और बिजनेस करने वाले दहेज नहीं लेते क्या- तेजपाल
मुख्य सचिव के आदेश के बाद कर्मचारी संगठन भी मुखर हो गए हैं। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा जिला पानीपत के सचिव सचिव तेजपाल सिंह व शिक्षक सुरेंद्र राठी का कहना है कि सरकार को अपने कर्मचारियों की हर जानकारी होनी चाहिए, यह अच्छी बात है, लेकिन जिनकी शादी 30 साल या इससे ज्यादा समय पहले हुई थी, वे आज कैसे अपने दहेज के बारे में बता पाएंगे। इसके लिए कोई समय सीमा तय की जानी चाहिए थी। जो लोग किसी सरकारी विभाग में नौकरी नहीं करते क्या वे दहेज नहीं लेते। प्राइवेट नौकरी करने वाले या अपना बिजनेस संभालने वाले भी दहेज लेते या देते हैं। इनकी भी जानकारी ली जानी चाहिए।
अति उत्तम प्रयास ऐसा फरमान सभी प्रदेश में लागू होना चाहिये